Madhu varma

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लेखनी कविता - खरगोश - बालस्वरूप राही

खरगोश / बालस्वरूप राही


सब पशु-पक्षी शोर मचाते
जब भी आजता है जोश,
आप मगर चुप ही रहते हैं,
ऐसा क्यों मिस्टर खरगोश?

इतने लंबे कान आपके
सुनते तो होंगे हर बात,
जीभ आप की अच्छा-खाशी,
फिर क्यों चुप रहते दिन रात?

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